कोविड-19 महामारी ने वैश्विक और आर्थिक जगत को बुरी तरह से प्रभावित किया है, लेकिन इस आपदा का सबसे ज्यादा प्रभाव हॉस्पिटैलिटी और पर्यटन जगत पर पड़ा है। इसी के चलते एच-स्कूलों (हॉस्पिटैलिटी स्कूल) की खुलने की धीमी शुरुआत और उनमें दाखिलों में कमी देखी जा रही है। दूसरी तरफ, विशेषज्ञों का मानना है कि शैक्षणिक संस्थानों को नई चुनौतियों के मद्देनज़र पाठ्यक्रम में बदलाव करना चाहिए।
इसी सिलसिले में शेफभारत.कॉम से हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. आर. संगीता ने कई एकादमिक पहलुओं और लॉकडाउन के दौरान विद्यार्थियों के प्रवेश और इंटर्नशिप के प्रभाव पर बातचीत की। हॉस्पिटैलिटी स्टूडेंट्स के लिए प्रशिक्षण ही सब कुछ होता है, हालांकि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग नॉर्म्स के चलते छात्रों को ट्रेनिंग का फायदा नहीं मिल पा रहा है। वहीं, ऑनलाइन कक्षाएं केवल ऑडियो-विजुअल डेमो ही दिखा पाती हैं जो विद्यार्थियों के लिए काफी नहीं हैं। इन्हीं सब पहलुओं को और नये मानकों को ध्यान में रखते हुए डॉ. संगीता ने बताया कि भारत यूनिवर्सिटी ने अपने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में काफी बदलाव किये हैं।
इसके अलावा, इस समय विद्यार्थियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती हैं इंटर्नशिप न कर पाना। अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए इंटर्नशिप करना जरूरी होता है। डॉ. संगीता ने कहा कि “इस वर्ष, छात्र इंटर्नशिप के जरिये प्रशिक्षण लेने की स्थिति में नहीं हैं लेकिन जो लोग ट्रेनिंग कर भी रहे हैं, उन्हें नए मानदंडों, विनियमों और उन्नत तकनीकों का अनुभव मिल रहा है”
नई परिस्थितियों में हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में नौकरियों पर भी खतरा मंडरा रहा है। मौजूदा दौर में जॉब पाना मुश्किल है ऐसे में डॉ. संगीता की सलाह है कि हॉस्पिटैलिटी स्टूडेंट्स इस समय को अपने कौशल विकास को बढ़ाने में लगाये। “विद्यार्थियों को इस समय को कार्विंग, बार टेंडिंग, और अन्य जटिल कलाओं में महारत हासिल करने या फिर मास्टर्स डिग्री के लिए उपयोग करना चाहिए। जहां इस महामारी ने लोगों से उनके रोजगार छीन लिये हैं, वहीं ये नये अवसर भी पैदा कर रही है। इसी के साथ उन्हें इस क्षेत्र में नये प्रयोगों और इनोवेशन करने की दिशा में भी काम करना चाहिए। मिसाल के तौर पर, कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां सोशल डिस्टेन्सिंग को देखते हुए डेस्क पर कर्मचारियों को भोजन उपलब्ध कराने का विचार लेकर आई हैं,”
इस क्षेत्र ने महामारी के बड़े खतरे को सहन किया है। हालांकि महामारी के चलते हॉस्पिटैलिटी उद्योग में कई बदलाव में आये हैं जिसमें मेन्यू में बदलाव, हाईजीन और हाउसकीपिंग को महत्व और सुरक्षा में नए मानदंडों को बढ़ावा देना शामिल है। डॉ. संगीता ने कहा कि ये स्थिति उद्योगों के लिए हमेशा नहीं रहेगी। हमें उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए छह महीने का इंतज़ार करना होगा क्योंकि लोग यात्रा के बिना नहीं रह सकते।
भारतीय समाज में बदलाव को लेकर लोगों की मानसिकता अलग-अलग है, यहां बदलाव को अपनाने में थोड़ा समय लगता है। हालांकि महामारी के चलते हॉस्पिटैलिटी जगत और इससे जुड़े लोगों की मानसिकता में बहुत सारे बदलाव आए हैं। डॉ. संगीता कहती हैं, “इस महामारी ने ऐसे बदलाव ला दिए हैं जो हमें अंतरराष्ट्रीय मानकों के नज़दीक ले आये हैं। जैसे अब स्वच्छता को महत्व देते हुए और भी ज्यादा निगरानी के साथ सभी स्तरों और पहलुओं पर ध्यान दिया जा रहा हैं।”