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-Hindi Team
कोविड-19 की जंग में डॉक्टर, नर्स और पुलिस फ्रंट लाइन वॉरियर्स बनकर इस महामारी को हराने का हर प्रयास कर रहे हैं। वहीं इस लड़ाई में कई ऐसे भी लोग शामिल हैं, जो फ्रंट लाइन वॉरियर्स को पीछे से रहकर समर्थन कर रहे हैं और उनके बारे में लोग कम ही जानते हैं। शेफभारत.कॉम आपके लिए उन्हीं में से एक शख्स, सीताराम प्रसाद की कहानी लेकर आया है जो अपनी टीम के साथ चैन्नई के फ्रंट लाइन वॉरियर्स की इस जंग में लोगों को खाना पहुंचाकर मदद कर रहे हैं।
सीताराम प्रसाद पेशे से चैन्नई के एक नामचीन होटल में कॉरपोरेट एक्जक्यूटिव शेफ हैं और एक बड़ी किचेन टीम का नेतृत्व करते हैं। कोविड-19 की शुरुआत से ही उन्हें कुछ अलग करने का मन था, इसके लिए प्रसाद ने लोगों को खाना खिलाने का बीड़ा उठाया।
पिछले तीन महीनों से प्रसाद और उनकी टीम लगभग 2,500 फ्रंट लाइन वर्कर्स के लिए रोज़ाना खाना बना रही है। इसके अलावा प्रसाद जहां काम करते हैं, वो होटल भी कोविड सेंटर के तौर पर लोगों को मुफ्त या फिर एक न्यूनतम शुल्क लेकर सेवाएं दे रहा है।
इस काम में संक्रमण का ख़तरा होते हुए भी फ्रंट लाइन वर्कर्स की सेवा में कोई कमी न आये, इसके लिए प्रसाद खुद ही कई अहम जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। वो खुद ही बाज़ार जाकर खाना बनाने की साम्रगी, सब्ज़ियां खरीदते हैं।
इस दौरान, एक वक्त ऐसा भी आया जब प्रसाद को इस काम से कुछ वक्त तक दूर रहना पड़ा। प्रसाद बताते हैं कि ऐसा तब हुआ जब सेफ्टी नॉर्म के तहत उन्हें कोविड टेस्ट लेने को कहा गया। “मेरा कोविड टेस्ट पॉज़िटिव था वो भी एसिम्टोमैटिक। मुझे पास के ही एक कोविड सेंटर में बगैर देर किये क्वारिन्टीन किया गया जहां मैं अपने परिवार से 14 दिनों तक दूर रहा। इस दौरान मैंने अपने स्वास्थ्य और फिटनेस को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। अगले दो परिणाम नकारात्मक आने के बाद ही मैं काम पर वापस आया”।
दूसरी तरफ, प्रसाद की टीम कोविड टेस्ट में पॉज़िटिव नहीं थी। क्वारिन्टीन होने के दौरान भी प्रसाद अपनी टीम का संचालन करते रहे और उन्होंने सुनिश्चित किया कि फ्रंट लाइन कार्यकर्ताओं को समय पर खाना पहुंचता रहे।
इस महामारी में अहम भूमिका निभा रहे डॉक्टरों को भोजन कराना प्रसाद देश की सेवा समझते हैं। पैनडेमिक में डॉक्टरों को घर जाने का समय नहीं मिलता इसलिए प्रसाद ने यह सुनिश्चित किया कि डॉक्टरों के लिए भोजन की व्यवस्था लगातार बनी रहे। प्रसाद बताते हैं कि भोजन को संतुलित बनाने के लिए भी उन्होंने विशेष मेन्यू तैयार किया। “जो डॉक्टर हमारे कोविड सेंटर में सेवाएं दे रहे थे, मैंने उनके मुताबिक मेन्यू तैयार किया”।
प्रसाद के बनाए इस मेन्यू में शामिल खाने में समान रूप से प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा, और 30% मिनरेल्स हो, इसका पूरा ध्यान रखा गया है। भोजन में हरी सब्जियां, नॉन-वेज, अंडे, जूस और स्नैक्स भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन खाद्य पदार्थों को नए सिरे से तैयार किया गया था और सबसे महत्वपूर्ण था कि ये हर बार ताज़ा और स्वादिष्ट हों। “मैंने उन्हें एक ऐसे भोजन का विकल्प दिया जिससे कि वो अपने भोजन का आनंद ले सकें,”
वो आगे कहते हैं कि, “अब तक भोजन को लेकर हमें एक भी नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली हैं। मैं हमेशा ये सुनिश्चित करता हूं कि हम जो भी परोसें, वो खाना गुणवत्ता और मात्रा में बेहतर हो।
लॉकडाउन के दौरान प्रसाद और उनकी टीम के द्वारा तैयार किये गये मेन्यू में कॉरपोरेशन कर्मियों और डॉक्टरों के लिए बिसी बेले भात, दही-चावल जैसे खाद्य पदार्थ शामिल किये थे, क्योंकि उस वक्त सामान की खरीदारी में काफी मुश्किलें थी। प्रसाद बताते हैं कि इसी वजह से लॉकडाउन के पहले चरण में उनकी टीम को सामान के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस समस्या से निपटने के लिए टीम ने नियमित आपूर्तिकर्ताओं से संपर्क किया, और खुद ही जाकर गोदामों से सामान लाये।
“हमने भोजन बनाने में गुणवत्ता और कभी किसी चीज़ से समझौता नहीं किया। वास्तव में हम जो भोजन तैयार करते हैं, उसके लिए अतिरिक्त एहितयात बरतते हैं, चाहे वो खुद के स्टाफ के लिए हो या फिर फ्रंट लाइन कार्यकर्ताओं के लिए।” दूसरी तरफ इस काम में साथ देने के लिए प्रसाद अपनी टीम की प्रशंसा करते नहीं थकते। “मेरी टीम में काफी उत्साही कर्मचारी हैं जो 24 घंटे भी काम करने को तैयार रहते हैं। इस काम में हमें होटल प्रबंधन का भी पूरा साथ मिला है जिसने हमें हमेशा प्रोत्साहित किया है”।
फ्रंट लाइन कार्यकर्ताओं की सेवा के लिए होटल को कोविड मानकों के तहत प्रमाणित किया गया है। वहीं चार लोगों को कोविड चैंपियन के तौर पर नियुक्त किया गया है जो कि कर्मचारियों के तापमान और उनके साथ अन्य लोगों की निगरानी के लिए नामित हैं। साथ ही, एक कोविड डेस्क भी बनाई गयी है जहां असुविधा होने पर लोग डेस्क से संपंर्क कर सकते हैं। “हम पहले दिन से ही सोशल डिस्टैन्सिंग मानकों को मान रहे हैं, और सभी काम नये मानकों के मुताबिक ही किये जा रहे हैं। इसी के मुताबिक प्री-कुकिंग, प्रोडक्शन और भोजन वितरण की टीमों को बांटा गया है। जिसके चलते सभी टीम अलग-अलग जगह काम करती हैं”।
इस दौरान अपने यादगार क्षणों को बारे में बात करते हुए प्रसाद ने अपना अनुभव साझा किये। उन्होंने बताया कि सबसे यादगार क्षण उनके लिए तब था जब वो एक सरकारी अस्पताल में डरते-डरते खाना बांटने गये थे। उनके मुताबिक लॉकडाउन की शुरुआत से ही होटल कर्मचारी भोजन वितरण का काम कर रहे थे। पहले सप्ताह तो यह अच्छी तरह से चला, लेकिन दूसरे सप्ताह होटलकर्मी अपनी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हो गये। तब सुरक्षा किट भी काफी महंगे मिल रहे थे। जिसके चलते प्रसाद ने भोजन बांटने की जिम्मेदारी खुद अपने ऊपर ले ली। लॉकडाउन में सफर करने के लिए उन्होंने ई-पास लिया और भोजन बांटने का काम किया।
प्रसाद के लिए यह सब जीवन का अलग ही अनुभव है। प्रसाद की तरह ही कई और ऐसे लोग भी हैं जो कठिन परिस्थितियों में समाज के लिए कल्याणकारी कार्य कर रहे हैं।
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