जहां वैश्विक महामारी (Pandemic) की वजह से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, वहीं वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान पहुंचा है। कोविड की सबसे अधिक मार हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को पड़ी है। प्रॉपर्टी कंसल्टेंट JLL इंडिया सर्वे के मुताबिक, महामारी के चलते देश के 11 बड़े शहरों में होटल उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। जनवरी से मार्च के दौरान बड़े शहरों में प्रति रूम रेवेन्यू (RevPAR) में 29 फीसदी तक गिरावट आई है। दूसरी तरफ ब्रिटेन में हुए एक शोध के मुताबिक, व्हाइट कॉलर कर्मचारियों से ज्यादा कम कुशल कामगारों (low skilled workers) को कोरोना वायरस से मौत का ख़तरा ज्यादा है।
कोरोना काल में हॉस्पिटैलिटी और दूसरे कई पहलुओं को लेकर शेफभारत.कॉम ने वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ शेफ सोसाइटीज़ के अध्यक्ष थॉमस ए गगलर से सीधी बातचीत की। बातचीत के दौरान गगलर ने हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से जुड़े कई पहलुओं पर अपने विचार रखे।
गगलर ने कहा कि कोविड-19 के चलते सभी सेक्टर्स के साथ साथ हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में भी बड़े बदलाव आए हैं। लेकिन सबसे बड़ा बदलाव सोशल डिस्टैन्सिंग की चलते आया है जिससे दुनियाभर के रेस्तरां बिज़नेस को तालाबंदी की कगार पर ला दिया है। “दुनिया के सभी देशों में मौजूद हॉस्पिटैलिटी व्यवसाय से जुड़े लोग कोविड-19 से प्रभावित हुए हैं। सभी का मानना है कि मौजूदा समय अनिश्चितता और चिंता का दौर है, खासकर आम जनता के लिए। ग्राहकों को सुरक्षित भोजन के साथ-साथ महामारी से बचने की भी चिंता है और ये हम सभी को समान रूप से प्रभावित कर रही है”।
गगलर ने कहा कि “हमें नए मानकों (new normal) के मुताबिक खुद को तैयार करना होगा। इसके लिए नए स्वच्छता और कार्यक्षेत्र मापदंडों, सामाजिक दूरी, भीड़ से बचने जैसे नियमों को पालन करना होगा। रेस्तरां में विभिन्न खाद्य सुरक्षा उपायों पर भी ध्यान देना होगा”।
गगलर का मानना है कि हॉस्पिटैलिटी जगत में मशीनीकृत भोजन का ट्रेंड बढ़ेगा जिसको बनाने में मशीनों का अधिक और लोगों का कम इस्तेमाल होता है। वहीं लॉक डाउन और सोशल डिस्टैन्सिंग की चलते लोगों ने होटल-रेस्तरां में जाने के बजाय खुद ही घर में खाना बनाने में अधिक रुचि लेना शुरु कर दिया है जिसे गगलर एक सकारात्मक बदलाव मानते हैं।
हॉस्पिटैलिटी सेक्टर का बड़ा तबका असंगठित क्षेत्र (unorganised sector) का है, वहीं आम राय में इस क्षेत्र में नये मानकों को मानने में असंगठित क्षेत्र को चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इसपर गगलर ने कहना है कि हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र फिलहाल मुश्किल दौर से गुज़र रहा है और इस क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों को एक साथ मिलकर नये मानकों का पालन करना होगा। “विशेषज्ञों, छात्रों और शौकीनों और इस व्यवसाय से जुड़े कम कुशलगारों को नये मानक अपनाने होंगे। इसके लिए टीम वर्क के साथ-साथ रेस्तरां को चलाने के लिए स्पष्ट मापदंडों को निर्धारित करने की जरूरत है”।
वहीं गगलर की राय में कोविड-19 के चलते हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में युवाओं की भर्ती में कोई कमी नहीं आएगी। उनके मुताबिक हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र को अच्छे कुशल और प्रतिभाशाली युवाओं की ज्यादा आवश्यकता है क्योंकि अभी भी हॉस्पिटैलिटी सेक्टर वैश्विक बाजार में विस्तार कर रहा है। वह कहते हैं- “मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में युवाओं की भर्ती कम नहीं होगी। भले ही हम कठिन समय में हो, लेकिन इसके बावजूद इन युवाओं के लिए एक सुनहरा भविष्य है,”
कोविड-19 और लॉकडाउन से बने हालातों को देखते हुए होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (HAI) का कहना है कि भारतीय हॉस्पिटैलिटी जगत में लगभग चार करोड़ लोगों की नौकरी ख़तरे में हैं, कुछ इसी तरह के हालात दुनिया भर में भी हैं। नौकरियों में छंटनी, वेतन-कटौती के चलते दुनियाभर के शेफ मानसिक पीड़ा से गुज़र रहे हैं। ऐसे में इस नकारात्मक दौर में खुद को सकारात्मक बनाए रखना बेहद जरूरी है। गगलर कहते हैं कि केवल शेफ ही नहीं दुनिया के तमाम लोगों के लिए मुश्किल हालात हैं। ऐसे में लोगों को पॉजिटिव रहने के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। “ये समय खुद के कौशल (skills) विकास के लिए अच्छा है। लोगों को वेबिनार, सेमिनार, ऑनलाइन शिक्षण, स्वयं-अभ्यास और गृह प्रशिक्षण द्वारा अपने कौशल को और विकसित करना चाहिए। भोजन जीवन का एक अहम हिस्सा है और मेरा मानना है कि बुरे वक्त के बाद अच्छा वक्त जरूर आता है और हॉस्पिटैलिटी जगत को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।”
फिलहाल सरकार ने ग्रीन ज़ोन में आने वाले होटलों और दूसरे व्यवसायों को राहत दी है, हालांकि कोविड के ख़तरे को देखते हुए भारतीय रसोइयों और होटलों को खुद में बड़े बदलाव लाने होंगे। गगलर का कहना है कि इसके लिए सोशल डिस्टैन्सिंग, मेहमानों की सुरक्षा जैसे नियमों के साथ-साथ अधिक प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान भी चलाने पड़ेंगे। इसके अलावा हमें सकारात्मक रहकर ग्राहकों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध रहना होगा।